क्या आप जानते हैं जब साबुन और सर्फ नहीं था तब लोग अपने कपड़ों को कैसे धोते थे | कपड़ों को साफ करने के लिए किस चीज का इस्तेमाल होता था।

यह बात तो आप जानते हैं कि साबुन और सर्फ करीब 130 साल पहले ही भारत में आया था, लेकिन जब सर्फ साबुन भारत में नहीं था तब लोग अपने कपड़ों को कैसे धोते होंगे। 

भारत में कारखानों और आधुनिकता का दौर की शुरुआत केवल 100 वर्ष पहले ही मानी जाती है लेकिन हमें इस बात को भी सोचना चाहिए कि जब भारत में कारखाने नहीं थे सब लोग किस तरह से अपने जीवन को जीते होंगे, और अपने कपड़े इत्यादि को किस तरह से साफ करते होंगे क्योंकि साबुन और सर्फ तो केवल 130 वर्ष पहले भारत में आए थे लेकिन उससे पहले भारत के लोग आखिर अपने कपड़ों को धोने के लिए किस चीज का इस्तेमाल करते थे जिसकी वजह से ना केवल उनके कपड़े साफ होते थे बल्कि उनमें चमक भी होती थी। 
Lakshyaraj Singh Mewar (Rajasthan)


हमारी भारतीय संस्कृति में शरीर को साफ सुथरा रखने की हिदायत दी जाती है और साफ-सुथरे कपड़े पहनने की लिए कहा जाता है लोग जब सर्फ पर साबुन नहीं था तब भी अपने कपड़ों को भारतीय पद्धति के हिसाब से साफ करते थे जिसकी वजह से उनके कपड़े साफ-सुथरी और चमकदार तो होते ही थे उन कपड़ों में कीटाणुओं का भी सफाया हो जाता था आखिर ऐसी कौन सी सामग्री का इस्तेमाल करते थे पुराने समय में चलिए जानते हैं। 

रीठा का इस्तेमाल करके कपड़ों को धोया जाता था। 

रेखा का नाम हम सभी ने सुना है अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल अपने बालों को धोने के लिए करते हैं बालों को धोने के लिए जब हम रीठा का इस्तेमाल करते हैं, तो रीठा एक तरह से शैंपू का ही काम करता है, और रीठा का छिलका झाग बनाने का काम करता है जैसे शैंपू और साबुन का इस्तेमाल करके झाग बनाए जाते हैं उसी तरह रीठा का इस्तेमाल करके झाग बनाए जाते हैं। 

आजकल बहुत सारी कंपनियां रीठा का इस्तेमाल करके शैंपू का निर्माण भी करती हैं, और इसी रीठा का इस्तेमाल करके पुराने जमाने में लोग अपने कपड़ों को साफ सुथरा किया करते थे। 
राजा महाराजाओं के किले में खासतौर पर रीठा के पेड़ों को लगाया जाता था, उन पेड़ों से जो रीठा प्राप्त होता था उसका इस्तेमाल करके कपड़ों को धोया जाता था। 


गर्म पानी का इस्तेमाल करके। 

राजा महाराजा तो रीठा इत्यादि का इस्तेमाल करके अपने महंगे कपड़ों को धो लिया करते थे लेकिन आम जनता अपने कपड़ों को धोने के लिए गर्म पानी का इस्तेमाल किया करते थे, पहले कपड़ों को कुछ देर के लिए गर्म पानी में डाल कर रख दिया जाता था और जब कपड़ों का मैल फूल जाया करता था, तब कपड़ों को गर्म पानी में से निकाल कर उन्हें थपकी की सहायता से पीट-पीटकर साफ किया जाता था। 

रेही का इस्तेमाल कर कपड़ों को साफ किया जाता था। 

जब भारत में साबुन और सर्फ नहीं था तो उस समय खेतों में पाए जाने वाले सफेद रंग के पदार्थ का इस्तेमाल करके कपड़ों को धोया जाता था रेही मिट्टी की ऊपरी सतह पर पाए जाने वाला सफेद रंग का एक पदार्थ होता है जो देखने में कुछ कुछ बेकिंग सोडा की तरह लगता है, इसके अंदर कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कपड़ों को साफ करने का कार्य करते हैं। 




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