सद्गुरु कौन है, सदगुरु कैसे बने इतने बड़े अध्यात्मिक गुरु।

सदगुरु ये वो नाम है जिसे अध्यात्मिक जगत की दुनिया में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है, आज सदगुरु के लाखों शिष्य हैं और बड़े-बड़े नेता और मंत्री भी सद्गुरु का आशीर्वाद लेते दिखाई देते हैं आइए जानते हैं सदगुरु के बारे में. 

Sadhguru Jaggi Vasudev
 

सदगुरु का असली नाम जग्गी वासुदेव है इनका जन्म 3 सितंबर 1953 में कर्नाटक (Karnataka) के मैसूर में हुआ था, उनका पूरा परिवार तेलुगू भाषी था, इनके पिताजी एक डॉक्टर थे, इन्हें बचपन से ही पेड़ पौधे , नदियों और प्रकृति से बहुत लगाव था, लेकिन छोटी उम्र से ही इनका ध्यान के प्रति भी बहुत ज्यादा लगाव था, यह काफी जहरीले सांपों (Snake) को पकड़ने में भी रुचि रखते हैं और ऐसा इन्होंने कई बार लोगों को करके दिखाया है.

सद्गुरु ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) नाम के एक संस्थान को चलाते हैं और यहां लोगों को आध्यात्मिक और योगिक क्रियाएं सिखाते हैं यदि बात करें परिवार की तो इनकी एक बेटी है, हर वर्ष शिवरात्रि के मौके पर सद्गुरु कोयंबतूर में शिवरात्रि का एक बड़ा आयोजन भी रखते हैं जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी शिरकत कर चुके हैं, और काफी सारे बॉलीवुड के जाने-माने चेहरे भी सद्गुरु के यहां योगिक क्रिया सीखने के लिए समय-समय पर आते रहते हैं, साथ ही इन आयोजनों में कैलाश खेर जैसे बड़े गायकार भी आते हैं.

कई बार बड़े पत्रकार भी सद्गुरु का इंटरव्यू लेने के लिए कोयंबटूर ईशा फाउंडेशन में जाते रहते हैं, जहां वे लोगों से जुड़े हुए सवाल करते हैं और सद्गुरु लोगों को जीवन कैसे जीना है इसके बारे में बताते हैं सद्गुरु अध्यात्मिक और जीवन जीने की कलाओं के साथ-साथ आयुर्वेद के कुछ नुस्खे को भी साधारण भाषा में लोगों तक पहुंचाते हैं ,और वह बताते हैं कि क्या खाना इस शरीर के लिए अच्छा है और क्या खाने से इस शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, कई बार उनके जवाब सुनकर बड़े-बड़े पत्रकार भी चुप्पी साध लेते हैं क्योंकि उनके जवाब बड़े तर्कशील होते हैं.

अभी फिलहाल के समय में सद्गुरु मिट्टी बचाओ अभियान के लिए लगे हुए हैं और इसके लिए ही है कई देशों की यात्रा भी कर चुके हैं, सद्गुरु का कहना है कि लोगों ने खाद और केमिकल डाल डाल कर मिट्टी को बर्बाद कर दिया है जो कि सही भी है हम लोगों ने मिट्टी में इतने यूरिया और खाद का इस्तेमाल किया है कि आज मिट्टी फसल के नाम पर जहर होगा रही है और यह सब हमारी ही कमी है सद्गुरु इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं सद्गुरु पर्यावरण को बचाने के लिए सदैव कुछ ना कुछ करते रहते हैं जिससे केवल पर्यावरण ही नहीं समस्त मानवता बचाने का कार्य होता है.

सद्गुरु ने ध्यान लिंगम की स्थापना की है यदि कोई व्यक्ति ध्यान लिंगम के पास बैठकर ध्यान करने की कोशिश करता है तो उसका ध्यान स्वत ही लगने लगता है, और बहुत शीघ्र उसे ध्यान की गहराइयों का अनुभव होने लगता है.

यदि आप भी अध्यात्मिक शक्तियों के बारे में जानना चाहते हैं और ध्यान की गहराइयों में उतरना चाहते हैं तो आप ईशा फाउंडेशन में दीक्षा के लिए जा सकते हैं.

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